*पन्ना के गाँव में रहस्यमय बीमारी से कोहराम, दो दिन में पाँच मौतें*
*अचानक फैली बीमारी ने भयावह मंजर पैदा कर दिया है स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर सवाल*
कटनी संवाददात// पवई (पन्ना): जिले के ग्राम बम्होरी में एक अचानक फैली बीमारी ने भयावह मंजर पैदा कर दिया है, जहाँ मात्र 48 घंटों में पाँच लोगों की मौत हो गई है। इस трагеिया ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली और चेतावनी के संकेतों को नजरअंदाज करने पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर तब जब पिछले साल भी इसी इलाके में ऐसी ही एक घटना में सात बच्चों की जान चली गई थी।
गाँव में इस वक्त दहशत का माहौल है। करीब 40 से 50 लोग बीमारी की चपेट में हैं, जिनमें से अधिकतर उल्टी और दस्त जैसे गंभीर लक्षणों से पीड़ित हैं। हैरानी की बात यह है कि ग्रामीणों के अनुसार, लोग पिछले सात से पंद्रह दिनों से बीमार पड़ रहे थे, लेकिन स्वास्थ्य अमला गुरुवार तक, यानी कई मौतों के बाद, गंभीरता से हस्तक्षेप करने पहुँचा।
मृतकों की पहचान 16 वर्षीय मनसो, 32 वर्षीय सेवक, 30 वर्षीय राधाबाई, 45 वर्षीय कंधेदी और 60 वर्षीय मुनीबाई के रूप में हुई है। उनके परिजनों का कहना है कि समय रहते इलाज मुहैया कराया गया होता तो इन मौतों को टाला जा सकता था।
ग्रामीणों का आक्रोश, विभाग पर लापरवाही के आरोप
ग्रामवासी कैलाश विश्वकर्मा ने बताया, "गाँव में करीब 15 दिनों से उल्टी-दस्त का प्रकोप है। नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर ही नहीं हैं, जिसकी वजह से लोगों को नीम-हकीमों के भरोसे अपना इलाज कराना पड़ रहा था। विभाग ने हमारी कोई सुनवाई नहीं की।"
विभाग की प्रतिक्रिया और परिणाम
मामले की गंभीरता तब समझ中 आई जब गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग की एक टीम गाँव पहुँची। सीएमएचओ डॉ. राजेश तिवारी ने मौके पर पहुँचकर मरीजों का सैंपल लिया और दवाएँ वितरित कीं। हालाँकि, तब तक पाँच जानें जा चुकी थीं।
बीएमओ प्रशांत भदौरिया ने जाँच के आधार पर दावा किया कि दो मौतें उल्टी-दस्त से हुई हैं, जबकि तीन अन्य लोगों की मौत का कारण क्षय रोग (टीबी) बताया गया है। लेकिन दो दिनों में इतनी बड़ी संख्या में मौतों ने इस दावे पर भी संदेह पैदा कर दिया है।
पिछला इतिहास दोहराया?
यह घटना इसलिए और भी चिंताजनक है क्योंकि पिछले वर्ष भी पवई क्षेत्र के ही गाँव पटोरी में उल्टी-दस्त के चलते सात मासूम बच्चों की मौत हो गई थी। उस सदमे के बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने इलाके में चिकित्सा सुविधाओं को मजबूत करने और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिसका खामियाजा एक साल बाद फिर ग्राम बम्होरी के लोगों को चुकाना पड़ा है।इस पूरे प्रकरण ने ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की खस्ताहाल स्थिति और जिम्मेदार अधिकारियों की संवेदनशीलता पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।