*कलेक्टरों को जारी हुए निर्देश सामूहिक विवाह समारोहों में ही मिलेगा विवाह प्रमाण-पत्र*
भोपाल संवाददाता / विवाह के इस मौसम में मध्य प्रदेश सरकार ने विवाहों के शत-प्रतिशत पंजीयन का लक्ष्य रखा है। योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी विभाग की इस सराहनीय पहल का उद्देश्य दंपतियों को भविष्य में होने वाली कानूनी परेशानियों से बचाना है। देव उठनी एकादशी के साथ ही प्रदेश में विवाहों का सिलसिला शुरू हो गया है और इसी के मद्देनजर सभी जिलों के कलेक्टरों को इस लक्ष्य को पूरा करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
विवाह पंजीयन न होने पर, विशेष रूप से महिलाओं को विभिन्न प्रकार की कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ता है, जैसे पति की मृत्यु के बाद स्वत्वों (उत्तराधिकार) के भुगतान में कठिनाई। इस मुहिम से इन समस्याओं का समाधान हो सकेगा।
सामूहिक विवाहों में तुरंत प्रमाण-पत्र जारी करने का सुझाव
आयुक्त आर्थिक एवं सांख्यिकी, श्री विकास मिश्रा ने बताया कि लक्ष्य हासिल करने के लिए एक महत्वपूर्ण सुझाव यह दिया गया है कि जिलों में आयोजित होने वाले मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, मुख्यमंत्री निकाह योजना और अन्य सामूहिक विवाह कार्यक्रमों के स्थल पर ही विवाह प्रमाण-पत्र जारी किए जाएं। इससे दंपतियों को अलग से कार्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे और पंजीयन में आसानी होगी।
जागरूकता अभियान में संस्थाओं से सहयोग की अपील
श्री मिश्रा ने सामूहिक विवाह कराने वाली सभी संस्थाओं से इस जागरूकता मुहिम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की है। साथ ही, स्थानीय निकायों, सार्वजनिक स्थलों, शादी हॉल और मैरिज गार्डनों पर विवाह पंजीयन करवाने संबंधी होर्डिंग लगाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि आम जनता इसके प्रति जागरूक हो सके।
मध्यप्रदेश विवाह रजिस्ट्रेशन नियम 2008 के तहत राज्य में किसी भी विधि या रीति-रिवाज से किए गए विवाह का पंजीयन कराया जा सकता है। यह पंजीयन दंपति के विवाह को कानूनी मान्यता प्रदान करता है और भविष्य में किसी भी विवाद या कानूनी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण दस्तावेज साबित होता है।