*राजस्व अधिकारियों का विद्रोह, सरकारी वाहन जमा, निजी गाड़ियों से लौटे घर*
*जबलपुर में न्यायिक-गैर न्यायिक वर्गीकरण के खिलाफ तहसीलदारों का बड़ा प्रदर्शन*
- तहसीलदारों ने कलेक्ट्रेट में जमा किए सरकारी वाहन
"न्यायिक-गैर न्यायिक" बंटवारे को भेदभाव बताया।
- भोपाल से जवाब न मिलने पर उठाया कदम।
- आपदा प्रबंधन को छोड़कर सभी कार्यों का बहिष्कार
जबलपुर संवाददाता / मध्य प्रदेश के जबलपुर में राजस्व अधिकारियों ने प्रशासनिक कार्यों से हाथ खींच लिए हैं। न्यायिक और गैर-न्यायिक श्रेणियों में बंटवारे के विरोध में तहसीलदारों ने अपने सरकारी वाहन कलेक्ट्रेट में जमा कर दिए और निजी गाड़ियों से घर लौटे। यह कदम मध्य प्रदेश कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के नेतृत्व में उठाया गया है।
"हमारी एकता तोड़ने की साजिश नाकाम होगी"
अधिकारियों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर स्पष्ट किया कि वे इस "भेदभावपूर्ण वर्गीकरण" को स्वीकार नहीं करेंगे। संघ के जिला अध्यक्ष शशांक दुबे ने चेतावनी दी, जब तक हमारी मांगें नहीं मानी जातीं, यह आंदोलन थमने वाला नहीं है।
*प्रशासन का रुख: बातचीत का वादा*
जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बताया कि मामला उच्च स्तर पर उठाया गया है और जल्द समाधान की उम्मीद जताई। फिलहाल, राजस्व अधिकारी केवल आपदा प्रबंधन जैसे जरूरी कार्यों में ही सहयोग देंगे पिछले हफ्ते राज्य सरकार द्वारा राजस्व अधिकारियों को दो श्रेणियों में बांटने का फैसला किया गया था, जिसके बाद से ही असंतोष चल रहा था। भोपाल प्रशासन को भेजी गई शिकायतों पर कोई कार्रवाई न होने के बाद अधिकारियों ने कार्यबहिष्कार का रास्ता चुना। मामले का हल नहीं निकाला गया, तो अधिकारी पूर्ण हड़ताल पर जा सकते हैं, जिससे भूमि रिकॉर्ड, राजस्व न्यायालय और अन्य जरूरी सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।